टैक्स बचत

महान भौतिकवेत्ता और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक बार कहा था कि इस दुनिया में दो ही चीजें निश्चित होती हैं। पहला टैक्स और दूसरी मृत्यु। आशय यह है कि यदि कोई व्यक्ति टैक्स पेमेंट के दायरे में आता है तो उसे हर हाल में टैक्स का भुगतान करना ही पड़ेगा। टैक्स बेनीफिट्स को ध्यान में रखते हुए यदि सुनियोजित ढंग से लाभकारी योजनाओं में अर्जित आय का निवेश किया जाये तो आयकर भुगतान के समय कई वित्तीय संकटों से बचा जा सकता है।

वेतनभोगी कर्मचारियों को प्रतिमाह मिलने वाली सैलरी के आधार पर आयकर की गणना की जाती है और इस प्रकार वार्षिक आय का अनुमान लगाकर इनकम टैक्स की गणना कोई कठिन कार्य नहीं। वित्तीय वर्ष के आरम्भ में ही आयकर की गणना कर लिया जाता है तो अनुमानित टोटल टैक्स को बारह महीनों के बराबर मासिक किश्तों में बांट कर उसे अपनी मासिक आय में कटवा लेने में बड़ी समझदारी तथा दूरदर्शिता समझी जाती है। ऐसा नहीं करने पर फरवरी माह में टीडीएस के रुप में सैलरी से एकमुश्त भारी रकम की कटौती की जाती है, जिससे फाइनेंशियल डिस्टर्बेंस होता है।